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Satnam Dharm

सतनाम धर्म समस्त धर्मों का मूल है इसी से समस्त धर्मों की उत्पत्ति हुई है। धीरे-धीरे जब मनुष्य का विकास होता गया तब मनुष्यों के विचारों में व्यापकता आई, विविधता आई और अपने अपने स्वार्थ पनपते गये जिससे लोग सत्य के मार्ग से भटकते गये और लोग धर्मभ्रष्ट होने लगे तो विभिन्न विद्वानों द्वारा अपने अपने प्रभुत्वसम्पन्न गुणों के माध्यम से भांति भांति के धर्म का सृजन किया गया, इसप्रकार से समग्र विश्व में अनेकोनेक धर्म की स्थापना होती गई।

Written by
Shri Huleshwar Joshi

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