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शुक्रवार, 9 मार्च 2018

क्या, वाकई धरती से जीवन समाप्त हो जाएगा, धरती में जीवन को संरक्षित करने के उपाय क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें

क्या, वाकई धरती से जीवन समाप्त हो जाएगा, धरती में जीवन को संरक्षित करने के उपाय क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें

हम सबको यह ज्ञात है कि जल पृथ्वी की सतह पर बहुतायत में मिलने वाला यौगिक है। जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है यह दो अणु हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बना है, जो सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। जैविक दृष्टिकोण से, पानी में कई विशिष्ट गुण हैं जो जीवन के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण हैं। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और एक अनुमान है कि 2030-35 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से जुझने लगेगी। 

वर्तमान परिदृश्य में विश्व में तेल के लिए युद्ध हो रहा है। भविष्य में ऐसा न हो कि जल के लिए भयावह युद्ध हो जाए। इसलिए मानव समुदाय को सचेत होना चाहिए। उन्हें ऐसी जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें जीवन अमृतरूपी जल का अपव्यय न होता हो।

पानी के किल्लत निपटने के लिए, यदि सम्पूर्ण विश्व के आम नागरिक और शासन एकजूट होकर जल एवं पंर्यावरण के संरक्षण के लिए कार्य नही करेंगे, केवल जल के दोहन में मग्न रहेंगें तो वह दिन दूर नही होगा कि पृथ्वी में मानव सहित अनेकोनेक जीवन को संकट का सामना करना पडे। 

मै यह जरूर कहना चाहूंगा कि यदि हम जल के दोहन में मग्न रहेंगे तो जल्द ही धरती जीवनहीन हो जाएगा। इसलिए मै आम नागरिकों, समाजिक संगठनों, विश्व समूदाय, शासन/प्रशासन से आग्रह करता हूं कि जल संकट से निपटने के लिए मेरे द्वारा दिए गए उपाय का अनुकरण करते हुए बेहतर विकल्प अपनाएं।

जल संकट से निपटने के उपाय:- भूगर्भ जलस्तर और भविष्य में पानी के संकट से बचने के लिए वर्षा जल संचयन अपरिहार्य है। जल संचयन के बिना धरती के जलस्रोतों को अक्ष्यण नहीं रखा जा सकता है। जल संचयन की विधियों पर नवीनतम शोध और इसकी वैज्ञानिक पद्धति को प्रयुक्त कर इसके सुखद परिणाम मिलेंगे। इसहेतु निम्नानुसार कारगर उपाय हो सकते हैं-
- शासन स्तर पर नदी जोडो परियोजना पर शीघ्रता से कार्य प्रारंभ किया जाना चाहिए।
- गर्मी फसल एवं पीने के पानी के लिए जल संचयन के लिए बांध का निर्माण कराया जाना चाहिए।  
- अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाए, बेहतर होगा कि नियमित आक्सीजन देने वाले वृक्ष लागाएं।
- नदी के किनारे कम-से-कम 1किलो मीटर के दायरे में अनिवार्य रूप से वृक्षारोपण अथवा वन क्षेत्र हो। सडक के किनारे दोनो ओर कम-से-कम 50-100 मीटर की चैडाई में फलदार वृक्षों, आयुर्वेदिक औषधी एवं कन्दमूल लगाया जाना चाहिए, इसके रखरखाव, आजीविका एवं राजस्व प्राप्ति के लिए एक योजना बनाकर टेण्डर में दिया जाना चाहिए।
- रेन वाटर  हार्वेस्टिंग सिस्टम को बढावा दिया जाए।
- मल्टीफ्लोर बिल्डिंग में उपयोग किए गए पानी को अच्छे से छानकर वृक्षों को पलाया जा सकता है।
- आहार में कम से कम 60 फिसदी हिस्सा वृक्षों के फलों और पत्तों के जूस को शामिल किया जावे।
- औषधी में एलोपैथी के बजाए आयुर्वेदिक के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- गहरा कुआं का निर्माण कर जल संचयन किया जाना चाहिए।
- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रायोजित स्वच्छता अभियान के तर्ज में वृक्षारोपण अभियान संचालित हो।
- भूजल दोहन अनियंत्रित तरीके से न हो, इसके लिए आवश्यक कानून बनना चाहिए।
- प्रत्येक व्यक्ति के नाम पर कमसेकम 10वृक्ष लगाना चाहिए, जिसमें एक पीपल/बरगद का वृक्ष भी हो।
- जल विद्युत पर तत्काल रोक लगाते हुए सोलर उर्जा के लिए नैनो टेक्नाॅलाजी की खोज पर बल दिया जाना चाहिए।
- सडक को धुल रहित होना चाहिए, ताकि कपडे गंदे न हो।
- एसी वाहनों पर रोक लगाने की आवश्यकता है। परन्तु यह तभी संभव होगा, पर्याप्त मात्रा में पथरोपण हुआ हो।


HP Joshi
Naya Raipur, Chhattisgarh


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